ब हम पैरेंट्स बनते हैं तो हमारी इमोशन्स हमारे बच्चों के प्रति सबसे ज्यादा जुड़ी होती है। हम हर वो कष्ट उनके लिए उठाने को तैयार रहते हैं जिनसे उनके जीवन में कोई भी कष्ट न हो। सही कहा जाता है कि बच्चों को पालना और उनकी सही परवरिश करना कोई आसान काम नहीं है।

बच्चों की सही परवरिश करना बहुत ही चुनौती भरा काम होता है। हर पैरेंट्स अपना बेस्ट देना चाहते हैं लेकिन कई बार जाने-अनजाने में ही सही, पैरेंट्स कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं, जो बच्चों और उनके बीच के रिश्ते में दरार डालने का काम करती हैं।

खासतौर से जैसे-जैसे बच्चों की उम्र बढ़ती है, उनके सोचने-समझने और बिहेवियर में भी एकदम से काफी ज्यादा बदलाव देखने को मिलता है। उम्र के इस पड़ाव पर बच्चों और पैरेंट्स के बीच कई बार काफी मतभेद भी देखने को मिलता है और कई बार स्थिति इतनी खराब हो जाती है कि बच्चों को अपने मां-बाप ही दुश्मन दिखाई देने लगते हैं। इसके पीछे कई बार पैरेंट्स की कुछ गलतियां भी जिम्मेदार होती हैं, जिन्हें आमतौर पर पैरेंट्स समय रहते नहीं समझ पाते। आज हम इन्हीं पेरेंटिंग मिस्टेक्स के बारे में जानेंगे, जिन्हें आपको हर हाल में अवॉइड करना चाहिए।

बच्चों के इमोशन का खयाल रखें

उम्र बढ़ने के साथ-साथ बच्चे में कई तरह के बदलाव आते हैं। सिर्फ शारीरिक स्तर पर ही नहीं बल्कि मानसिक स्तर पर भी बच्चा काफी कुछ नया महसूस कर रहा होता है। किसी के प्रति प्रेम, अट्रैक्शन, लगाव, जलन और एग्रेशन जैसे कई इमोशन इस दौरान बच्चे में देखने को मिलते हैं, जो कि इस उम्र में बिल्कुल नॉर्मल हैं। लेकिन जब पैरेंट्स ही बच्चों की इन भावनाओं को दरकिनार कर देते हैं और एक बार भी उन्हें समझने की कोशिश नहीं करते, तो बच्चों को माता-पिता से एक अलगाव की भावना महसूस होने लगती है।

बात बात पर अधिक रोक-टोक न करें

पैरेंट्स होने के नाते ये आपका हक और कर्तव्य दोनों बनता है कि आप उसे गलत चीजों के लिए टोकें। लेकिन आपको यह भी समझना होगा कि हद से ज्यादा रोक-टोक भी सही नहीं है। खासतौर से जब बच्चे की उम्र बढ़ रही है, तो उस दौरान आपको हद से ज्यादा दखलंदाजी से बचना चाहिए। हर बार कहां जा रहे हो, किसके साथ हो, ये कौन लगता है; जैसे सवाल बच्चों को एक समय के बाद चुभने लगते हैं और वो आपसे इरिटेट होने लगता है।

अपनी पसंद बच्चे पर कभी न थोपें

पैरेंट्स अपने बच्चों को ले कर तमाम तरह के सपने सजाते हैं, जो बिल्कुल नॉर्मल है। लेकिन जब आप अपने सपने, अपनी ख्वाहिशें और यहां तक कि अपनी पसंद और ना पसंद भी बच्चे पर थोपने लगते हैं, तो ये चीजें बच्चे को बहुत दमघोंटू लगने लगती हैं। जब बच्चा बड़ा होने लगता है तो वो अपनी एक अलग पहचान बनाने की कोशिश करता है। वो अपनी पसंद ना पसंद को ले कर और अवेयर होता है। इस दौरान जब पैरेंट्स उसके विचारों को दरकिनार कर अपनी पसंद उसपर थोपने लगते हैं, तो ये चीजें उसके मन में पैरेंट्स के लिए खटास पैदा करती हैं।

अपने बच्चों को और उनकी बातों को रिस्पेक्ट दें

बच्चे की बढ़ती उम्र के साथ पैरेंट्स को भी अपने बिहेवियर पर जरूर गौर करना चाहिए। ज्यादातर पैरेंट्स यही गलती कर बैठते हैं। वो यह समझ नहीं पाते कि बच्चा बड़ा हो रहा है और अब उसके लिए भी सेल्फ रिस्पेक्ट, सेल्फ वैल्यू जैसी चीजें मायने रखने लगी हैं। ऐसे में किसी के भी सामने बच्चे के बारे में भला-बुरा बोलना, हमेशा बच्चे को खरी-खोटी सुनाना और उसे बिल्कुल भी रिस्पेक्ट ना देना; आपको उसकी नजरों के आगे एक विलेन बना सकता है। ऐसे स्थिति में कई बार बच्चे पैरेंट्स को रिस्पेक्ट देना भी बंद कर सकते हैं।

कुछ फैसले उन्हें ही लेने दे

पैरेंट्स होने के नाते आपका फर्ज है कि आप बच्चे से जुड़े कुछ जरूरी फैसले खुद लें। लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं कि बच्चे को उसके लाइफ डिसीजन लेने का बिल्कुल भी मौका ना मिले। यहां तक कि उसकी कोई राय तक ना ली जाए। अपने डिसीजन बच्चे पर थोप कर आप अपने और उसके बीच के रिश्ते को कमजोर ही कर रहे हैं। आपका फर्ज है कि बच्चे को सही फैसले लेने के लिए प्रेरित करें। उसके साथ बैठकर बात करें, उसे समझाएं और उसकी सहमति से कोई फैसला लें। इससे बच्चा एक अच्छा डिसीजन मेकर भी बनेगा और साथ ही आपके लिए उसकी रिस्पेक्ट और भी बढ़ जाएगी।

अमृता कुमारी – नेशन्स न्यूट्रिशन                         (क्वालीफाईड डायटीशियन/ एडुकेटर, अहमदाबाद) 

By AMRITA

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