क्राइसोकोला एक नीला हरा क्रिस्टल है जिसमें तांबे की मात्रा अधिक होती है। यह कांच जैसी से लेकर फीकी चमक के साथ पारदर्शिता में अपारदर्शी है। क्राइसोकोला एक फाइलोसिलिकेट खनिज है जो अक्सर गोल द्रव्यमान, शिरा भराव या क्रस्ट में पाया जाता है। यह मैलाकाइट, क्यूप्राइट, क्वार्ट्ज़, अज़ुराइट और लिमोनाइट से भी बना है। क्राइसोकोला का अर्थ संचार, शिक्षण और परिवर्तन है।क्राइसोकोला नाम ग्रीक शब्द क्रिसोस से आया है जिसका अर्थ है सोना और कोला जिसका अनुवाद गोंद होता है।
क्राइसोकोला के आध्यात्मिक तथा चमत्कारिक गुण
यह बहुत ही सुन्दर उपरत्न है और इसमें कई लाभदायक ऊर्जा पाई जाती हैं. यह रचनात्मकता में वृद्धि करता है.
संचार माध्यमों को सुनियोजित करता है
. यह शांति तथा सौहार्द बनाए रखने में मदद करता है. यह धैर्य तथा अन्तर्ज्ञान में बढो़तरी करता है
. धरणकर्त्ता बिना किसी शर्त के अथवा बगैर किसी लालच के दूसरों को प्यार करता है.
यह सौम्य तथा आरामदायक गुणों की खान है. धारणकर्त्ता के स्वभाव में सौम्यता लाता है.
यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता का विकास करता है.
यदि कोई व्यक्ति मानसिक अथवा शारीरिक रुप से परेशान है तब यह उपरत्न पहनने से व्यक्ति को सुख तथा शांति का अनुभव होता है.
यह उपरत्न शांति, सौहार्द, बुद्धि तथा विवेक का सूचक माना जाता है.
यह अशांति के समय व्यक्ति को शांत रखता है और विचारों में उग्रता नहीं आने देता.
क्राइसोकोला के चिकित्सीय गुण एवं लाभ
1.यह उपरत्न जोड़ों के दर्द से निजात दिलाता है.
शरीर के जिस हिस्से में दर्द रहता है उस हिस्से में इलास्टिक पट्टी बाँधकर उसमें दो अथवा तीन क्राइसोकोला उपरत्न रख दें.
2.यह सिरदर्द तथा माँस-पेशियों के दर्द में भी राहत दिलाता है
3.क्राइसोकोला संक्रमण को ठीक करता है, रक्तचाप कम करता है और जलन को शांत करता है।
4.यह लीवर, किडनी और आंतों को डिटॉक्सीफाई करता है।
5.क्राइसोकोला दमित संवेदनाओं को मुक्त करके सद्भाव और पूर्णता को प्रोत्साहित करता है जो मस्तिष्क को सही ढंग से सोचने से रोकता है।
6.यह रक्त को पुनः ऑक्सीजन देने में भी मदद करता है, अग्न्याशय को पुनर्जीवित करता है और इंसुलिन को नियंत्रित करता है, इस प्रकार मधुमेह से राहत के लिए एक आदर्श पत्थर है।
7.क्राइसोकोला भावनात्मक उपचार के लिए एक शक्तिशाली पत्थर है, जो तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है।
क्राइसोकोला क्रिस्टल से होनी वाली हानि
क्राइसोकोला भंगुर होता है और अक्सर परतदार या चिपट सकता है। कुछ लोगों को क्राइसोकोला के टूटने पर उसके खनिजों से त्वचा में जलन या एलर्जी का अनुभव हुआ है।हल्की क्रिस्टल किसी भी तरह का बड़ा नुकसान नहीं करते है,और इसके साइड इफेक्ट्स भी बहुत कम होते है।
व्यक्ति विशेष को किसी बात से अकारण डर लगता है अथवा तनाव या अपराध भावना जागृत होती है तब इस उपरत्न को धारण करना चाहिए। इसे धारण करने से जातख को आंतरिक ऊर्जा प्राप्त होती है और वह स्वयं को परिस्थितियों के अनुकूल ढा़लने में सक्षम होता है।यह क्रिस्टल उन लोगो के लिए बहुत उपयोगी है जो शिक्षा के क्षेत्र में है ,क्राइसोकोला डायबिटीज की भी रोकथाम में मददगार होता है ।
क्रिस्टल के साथ काम करने से पहले आपको ये जानना बहुत जरूरी है कि उसकी प्रोग्रामिंग और क्लीनिंग कैसे होती हैं,क्रिस्टल ऊर्जा देते भी है और ग्रहण भी करते है इसलिए उससे समय समय पर साफ करना जरूरी होता है।
दिव्या सिंह, (वेलनेस कोच एवं रेकी हीलर – पटना)