गोमुखासन तीन शब्दों से मिलकर बना है, गो-मुख-आसन जहां “गो” का अर्थ गाय है, “मुख” का अर्थ चेहरे से है और “आसन” का अर्थ मुद्रा है। मुड़े हुए पैर गाय के मुँह की आकृति बनाते हैं जबकि कोहनियाँ गाय के कान की तरह दिखती हैं। इसलिए, इसे आमतौर पर गाय-मुख मुद्रा के रूप में जाना जाता है।

कैसे करें गोमुखासन 

1.अपने पैरों को ज़मीन के समानांतर और अपने ऊपरी शरीर को ऊर्ध्वाधर स्थिति में रखते हुए दंडासन या स्टाफ पोज़ से शुरुआत करें।

2.शुरुआत के लिए अपने पैरों को पद्मासन की तरह क्रॉस करें।

3.दाएँ घुटने को बाएँ घुटने के ऊपर एक लाइन में रखें।

4.अपनी दाहिनी एड़ी को अपने बाएँ कूल्हे की तरफ सरकाएँ।

5.इसी तरह, अपनी बायीं एड़ी को अपने दायें कूल्हे की तरफ लाएँ। घुटनों को एक दूसरे पर रखें और बैठने के लिए नीचे दबाएं

6.अपनी रीढ़ को लंबा करें, पीठ के निचले हिस्से को ऊपर उठाएं।

7.श्वास लें और अपने दाहिने हाथ को छत की ओर सीधी स्थिति में लाएँ।

8.सांस छोड़ें और अपनी कोहनी को ऊपर की ओर मोड़ें और दाहिने हाथ को पीछे की ओर लाएं।

9.दाहिनी कोहनी को मध्य में संरेखित करने के लिए अपने बाएं हाथ की मदद लें।

10.बाएं हाथ को बाईं ओर उठाएं, और धीरे से अपनी कोहनी को जमीन की ओर झुकाएं और अपने बाएं हाथ को पीठ के केंद्र को स्पर्श करें।

11.यदि संभव हो तो अपने हाथों को एक साथ पकड़ने की कोशिश करें और उंगलियों को पकड़ लें।अगर हाथों को पकड़ना मुश्किल हो तो स्ट्रैप या बेल्ट को प्रोप की तरह इस्तेमाल करें।

12.अपनी रीढ़ को सीधी स्थिति में रखें और अपने सिर को आगे की ओर झुकने न दें।

13.कम से कम 2 मिनट तक इसी स्थिति में रहें।

14.दोनों हाथों को बगल में लाकर धीरे-धीरे मुद्रा से बाहर निकलें और दंडासन में लौट आएं।

गोमुखासन के लाभ:

1. साइटिका को ठीक करता है

2. उच्च रक्तचाप में मदद करता है

3. नियमित अभ्यास से प्रजनन अंगों को टोन और मसाज किया जाता है

4. कंधों की अकड़न को ठीक करता है

5. रीढ़ की हड्डी को लम्बा करता है

6. खराब मुद्रा वाले लोगों के लिए फायदेमंद

7. तनाव और चिंता को कम करता है

8. पीठ की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है

9. किडनी को उत्तेजित करता है

10. टखनों, कूल्हों, जांघों, कंधों, ट्राइसेप्स, आंतरिक बगल और छाती की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।

गोमुखासन में सावधानी

कंधे, पीठ, गर्दन, नितम्ब या घुटनों में ज्यादा समस्या होने पर यह योग नहीं करना चाहिए। यह आसन करते समय कोई तकलीफ होने पर तुरंत योग विशेषज्ञ या डॉक्टर की सलाह लेना चाहिए। शुरुआत में पीठ के पीछे दोनों हाथो को आपस में न पकड़ पाने पर जबरदस्ती न करे। गोमुखासन का समय अभ्यास के साथ धीरे-धीरे बढ़ाना चाहिए।

गमुखासन योग मुद्रा अत्यधिक लाभकारी है फिर भी इसे करना बेहद सरल है। साधारण स्ट्रेच आपके शरीर के स्वास्थ्य में बहुत अंतर ला सकते हैं,और बहुत सी स्वाथ्य संबंधी बीमारियों को ठीक करने में मदद भी करता है।किसी भी योगासन को करने से पहले विशेषज्ञों का परामर्श जरूर ले लिया करें।

दिव्या सिंह ( वेलनेस कोच एवं रेकी हीलर – पटना ) 

By AMRITA

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