आजकल की बदलती जीवनशैली, अनियमित खान-पान और मानसिक तनाव का असर अब सिर्फ बड़ों तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि बच्चों के स्वास्थ्य, विशेषकर दिल की सेहत पर भी पड़ने लगा है। पहले हार्ट अटैक को केवल बुजुर्गों की बीमारी माना जाता था, लेकिन अब यह समस्या कम उम्र के बच्चों में भी देखी जा रही है। चिंता की बात यह है कि कई बार माता-पिता इन लक्षणों को सामान्य मानकर नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे स्थिति गंभीर हो सकती है। आप ऐसी गलती न करें, इसके लिए आपको समय रहते ऐसे संकेतों को पहचानना जरूरी है, जो बच्चों में देखे जाते हैं। तो आइए जानते हैं बच्चों में हार्ट अटैक से जुड़े 5 ऐसे लक्षण, जिन्हें अनदेखा करना भारी पड़ सकता है।
1. सीने में दर्द या घबराहट
अगर बच्चा बार-बार सीने में जलन, भारीपन या दर्द की शिकायत करता है, तो इसे सिर्फ गैस, एसिडिटी या सामान्य थकान मानकर अनदेखा करना खतरनाक हो सकता है। यह लक्षण हृदय में ब्लॉकेज या अन्य गंभीर हृदय रोगों का संकेत हो सकते हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
2. अचानक थकान या कमजोरी महसूस करना
यदि बच्चा हल्की गतिविधि के बाद ही थकान महसूस करता है, चक्कर आता है या अत्यधिक सुस्ती दिखाता है, तो यह सामान्य कमजोरी नहीं, बल्कि दिल में रक्त संचार की समस्या या दिल की कार्यक्षमता में कमी का संकेत हो सकता है। हालांकि, ऐसे लक्षण किसी अन्य स्वास्थ्य समस्या के संकेत भी हो सकते हैं, लेकिन फिर भी डॉक्टर से समय रहते संपर्क कर लेना बेहद जरूरी है।
3. तेज या अनियमित धड़कन
बच्चे की धड़कन सामान्य से तेज हो जाए या धड़कन में अनियमितता हो, तो इसे गंभीरता से लेना चाहिए। यह दिल की धमनियों में ब्लॉकेज या इलेक्ट्रिकल इम्बैलेंस की ओर इशारा कर सकता है। अगर आपका बच्चा इससे जुड़ा कोई लक्षण बताता है, तो आपको बिल्कुल भी देरी नहीं करनी चाहिए।
4. सांस लेने में दिक्कत
अगर बच्चा खेलते समय या आराम की स्थिति में भी सांस लेने में परेशानी महसूस करता है, तो यह सामान्य थकान नहीं, बल्कि हृदय की कमजोरी या फेफड़ों से जुड़ी किसी गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है। ऐसे लक्षणों को नजरअंदाज करना जोखिम भरा हो सकता है। हालांकि, जरूरी नहीं है कि ये लक्षण हार्ट अटैक का ही हो, लेकिन फिर भी समय रहते इसकी जांच कराना बेहद जरूरी है।
5. त्वचा का नीला पड़ना
अगर थोड़ी मेहनत करके या बिना किसी शारीरिक मेहनत के ही बच्चे की त्वचा नीली पड़ जाती है और अत्यधिक पसीना आता है, तो यह शरीर में ऑक्सीजन की कमी या हृदय संबंधी गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है। ऐसे लक्षण दिखें तो तुरंत चिकित्सीय सलाह लें। ऐसे लक्षणों की पहचान होने के बाद डॉक्टर से दिखाने में बिल्कुल भी देरी नहीं करनी चाहिए।
सलाह
इन लक्षणों को हल्के में न लें। किसी भी असामान्य स्थिति में तुरंत बाल रोग विशेषज्ञ या कार्डियोलॉजिस्ट से संपर्क करें। समय पर जांच और उपचार से बच्चों को गंभीर स्थितियों से बचाया जा सकता है। याद रखें सावधानी और सतर्कता ही आपको और आपके बच्चे को हर खतरे से बचा सकती है।
अमृता कुमारी – ( नेशन्स न्यूट्रिशन ) क्वालीफाईड डायटीशियन डायबिटीज एजुकेटर, अहमदाबाद