जन्म के कुछ समय बाद बहुत से बच्चों की त्वचा चपटी, नाक दबी हुई, छोटे-छोटे हाथ-पैर, उंगलियां, छोटी गर्दन और कान जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं। इसके अलावा जब बच्चा धीरे-धीरे बड़ा होता है, तो बोलने में परेशानी, जुबान लड़खड़ाने और शारीरिक विकास से जुड़ी भी कई समस्याएं देखने को मिलती हैं। लेकिन क्या आपने कभी यह जानने की कोशिश की है, बच्चों के साथ इस तरह की स्थितियां क्यों पैदा होती हैं? या किन कारणों से होती है?
डाउन सिंड्रोम क्या है और क्यों होता है?-
डाउन सिंड्रोम एक अनुवांशिक डिसऑर्डर है। यह स्थिति तब पैदा होती है, जब किसी व्यक्ति के शरीर में क्रोमोसोम का स्तर बढ़ जाता है। क्रोमोसोम शरीर में कई छोटे-छोटे जीन से मिलकर बनते हैं, या यूं कहें कि यह जीन का एक पैकेज होते हैं। गर्भावस्था के दौरान और जन्म के बाद आपके बच्चे का शरीर कैसे बनेगा या कैसे कार्य करेगा, यह क्रोमोसोम ही निर्धारित करते हैं।
जब बच्चा पैदा होता है, तो आमतौर पर उसके शरीर में 46 क्रोमोसोम होते हैं। जिन्हें वह अपने माता पिता से प्राप्त करता है। इनमें आधे वह मां और आधे पिता से प्राप्त करता है। लेकिन डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों में यह देखने को मिलता है, कि उनमें 46 में 21 क्रोमोसोम एक-एक अतिरिक्त कॉपी होती है। इस स्थिति को डाउन सिंड्रोम ट्राइसॉमी 21 कहते हैं। यह स्थिति बच्चे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों के लिए बहुत चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है। इसके कारण बच्चों मानसिक, शारीरिक और विकास संबंधी समस्याएं देखने को मिल सकती हैं। यह भविष्य में उनकी परेशानियां भी बढ़ा सकती है।
बच्चों में डाउन सिंड्रोम के लक्षण-
- जन्म के कुछ समय बाद बच्चे का चेहरा चपटा या नाक दबी हुई महसूस होना
- उनकी आंखें ऊपर की ओर झुकी नजर आती हैं, साथ ही उनका आकार भी बादाम के जैसा होता है
- उनके शरीर के कई अंग जैसे गर्दन, कान, उंगलियां, हाथ-पैर छोटे-छोटे हो सकते हैं
- आंखों में सफेद धब्बे
- उनकी जीभ बाहर निकलने लगती है
- बच्चों की लंबाई नहीं बढ़ती है
- उनकी मांसपेशियों ढीली और सामान्य से भिन्न लगता है।
(प्रियंवदा दीक्षित – फूड फॉर हील) (क्वालीफाईड डायटीशियन, आगरा)