हमारी प्रकृति ने हमें बहुत कुछ उपहार स्वरूप दिया है,लेकिन अज्ञानतावश हम उसे पहचान नहीं पाते कि कौन सा खाद्य पदार्थ हमारे लिए औषधि रूप में उपयोगी है । ऐसी बहुत सारी चीजें हैं जिसे हम अपने रोगों को दूर करने के लिए और सही खान-पान में शामिल करके अपने आप को निरोग रखने के लिए उपयोग में लाते हैं। और कई ऐसी चीजें हैं जिसके बारे में अभी तक हमें यह पता नहीं है कि यह हमारे लिए कितना सदुपयोगी है इन्हीं में एक नाम आता है पलाश का। पलाश का हमेशा से ही गर्भधारण में काफी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। लेकिन क्या आपको पता है पुरुषों की यौन संबंधी समस्याओं में भी पलाश काफी अहम औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है।

पलाश वीर्य विकार को दूर कर के उत्तम वाजीकरण है, पुरुषों के लिंग कि दृढ़ता शीघ्रपतन, स्तम्भन और शुक्र के शोधन में बहुत ही गुणकारी है, इसके साथ साथ ये बांझपन में भी अति श्रेष्ठ औषिधि है,

 पलाश के गुण और उपयोग

इसे विभिन्न नामो से जाना जाता है -इसे ढाक-टेशू -पलाश-गुजराती में खाकरा-तमिल में पुगु-कतुमुसक-किन्जुल आदि नामों से पुकारते है।

 

➡ पलाश के औषधीय गुण :

*दूध के साथ प्रतिदिन एक Palaash(पलाश) पुष्प पीसकर दूध में मिला के गर्भवती माता को पिलायें-इससे बलवान संतान की प्राप्ति होती है।

*यदि अंडकोष बढ़ गया हो तो पलाश की छाल का 6 ग्राम चूर्ण पानी के साथ निगल लीजिये।

*नारी को गर्भ धारण करते ही अगर गाय के दूध में पलाश के कोमल पत्ते पीस कर पिलाते रहिये तो शक्तिशाली और पहलवान बालक पैदा होगा।

*यदि पलाश के बीजों को मात्र लेप करने से नारियां अनचाहे गर्भ से बच सकती हैं।

*पेशाब में जलन हो रही हो या पेशाब रुक रुक कर हो रहा हो तो पलाश के फूलों का एक चम्मच रस निचोड़ कर दिन में बस 3 बार पी लीजिये।

*बवासीर के मरीजों को पलाश के पत्तों का साग ताजे दही के साथ खाना चाहिए लेकिन साग में घी ज्यादा चाहिए।

*बुखार में शरीर बहुत तेज दाहक रहा हो तो पलाश के पत्तों का रस लगा लीजिये शरीर पर 15 मिनट में सारी जलन ख़त्म हो जाती है।

*जो घाव भर ही न रहा हो उस पर पलाश की गोंद का बारीक चूर्ण छिड़क लीजिये फिर देखिये।

*फीलपांव या हाथीपाँव में पलाश की जड़ के रस में सरसों का तेल मिला कर रख लीजिये बराबर मात्रा में और फिर सुबह शाम 2-2 चम्मच पीजिये।

*नेत्रों की ज्योति बढानी है तो पलाश के फूलों का रस निकाल कर उसमें शहद मिला लीजिये और आँखों में काजल की तरह लगाकर सोया कीजिए- अगर रात में दिखाई न देता हो तो पलाश की जड़ का अर्क आँखों में लगाइए।

*नपुंसकता की चिकित्सा के लिए भी इसके बीज काम आते हैं अन्य दवाओं में मिला के इसका प्रयोग होता है।

*शरीर में अन्दर कहीं गांठ उभर आयी हो तो इसके पत्तों को गर्म करके बांधिए या उनकी चटनी पीस कर गरम करके उस स्थान पर लेप कीजिए।

*इसके बीजों को नीबू के रस में पीस कर लगाने से दाद खाज खुजली में आराम मिलता है।

*इसी पलाश से एक ऐसा रसायन भी बनाया जाता है जिसके अगर खाया जाए तो बुढापा और रोग आस-पास नहीं आ सकते।

*इसके पत्तों से बनी पत्तलों पर भोजन करने से चाँदी के पात्र में किये गये भोजन के समान लाभ प्राप्त होते हैं पहले लोग शादी ब्याह और अन्य संस्कार में पत्तल और दोने पलाश (ढाक) का ही करते थे और आज की अपेक्षा जादा स्वस्थ थे।

*इसका गोंद हड्डियों को मजबूत बनाता है पलाश का 1 से 3 ग्राम गोंद मिश्रीयुक्त दूध अथवा आँवले के रस के साथ लेने से बल एवं वीर्य की वृद्धि होती है तथा अस्थियाँ मजबूत बनती हैं और शरीर पुष्ट होता है।

*वसंत ऋतु में पलाश लाल फूलों से लद जाता है इन फूलों को पानी में उबालकर केसरी रंग बनायें- यह रंग पानी में मिलाकर स्नान करने से आने वाली ग्रीष्म ऋतु की तपन से रक्षा होती है तथा कई प्रकार के चर्मरोग भी दूर होते हैं।

*महिलाओं के मासिक धर्म में अथवा पेशाब में रूकावट हो तो फूलों को उबालकर पुल्टिस बना के पेड़ू पर बाँधें-अण्डकोषों की सूजन भी इस पुल्टिस से ठीक होती है।

*रतौंधी की प्रारम्भिक अवस्था में फूलों का रस आँखों में डालने से लाभ होता है।

*आँख आने पर (Conjunctivitis) फूलों के रस में शुद्ध शहद मिलाकर आँखों में आँजें।

*पलाश के बीजों में पैलासोनिन नामक तत्त्व पाया जाता है जो उत्तम कृमिनाशक है- 3 से 6 ग्राम बीज-चूर्ण सुबह दूध के साथ तीन दिन तक दें -चौथे दिन सुबह 10 से 15 मि.ली. अरण्डी का तेल गर्म दूध में मिलाकर पिलायें इससे पेट के कृमि निकल जायेंगे।

*पलाश बीज-चूर्ण को नींबू के रस में मिलाकर दाद पर लगाने से वह मिट जाती है।

*पलाश के बीज + आक (मदार) के दूध में पीसकर बिच्छूदंश की जगह पर लगाने से दर्द मिट जाता है।

*नाक-मल-मूत्रमार्ग अथवा योनि द्वारा रक्तस्राव होता हो तो छाल का काढ़ा (50 मि.ली.) बनाकर ठंडा होने पर मिश्री मिला के पिलायें- इसे इन्ही गुणों के कारण ब्रह्मवृक्ष कहना उचित है।

प्रमेह (वीर्य विकार) :

पलाश की मुंहमुदी (बिल्कुल नई) कोपलों को छाया में सुखाकर कूट-छानकर गुड़ में मिलाकर लगभग 10 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम खाने से प्रमेह नष्ट हो जाता है।

टेसू की जड़ का रस निकालकर उस रस में 3 दिन तक गेहूं के दाने को भिगो दें। उसके बाद दोनों को पीसकर हलवा बनाकर खाने से प्रमेह, शीघ्रपतन (धातु का जल्दी निकल जाना) और कामशक्ति की कमजोरी दूर होती है।

वाजीकरण (सेक्स पावर) :

5 से 6 बूंद टेसू के जड़ का रस प्रतिदिन 2 बार सेवन करने से अनैच्छिक वीर्यस्राव (शीघ्रपतन) रुक जाता है और काम शक्ति बढ़ती है।

टेसू के बीजों के तेल से लिंग की सीवन सुपारी छोड़कर शेष भाग पर मालिश करने से कुछ ही दिनों में हर तरह की नपुंसकता दूर होती है और कामशक्ति में वृद्धि होती है।

लिंग कि दृढ़ता हेतु : पलाश के बीजों के तेल कि हल्की मालिश लिंग पर करने से वह दृढ होता है। यदि तेल प्राप्त ना कर सकें तो पलाश के बीजों को पीसकर तिल के तेल में जला लें तथा उस तेल को छानकर प्रयोग करें। इससे भी वही परिणाम प्राप्त होते है।

स्तम्भन एवम शुक्र शोधन हेतु : इसके लिए पलाश कि गोंद घी में तलकर दूध एवम मिश्री के साथ सेवन करें। दूध यदि देसी गाय का हो तो श्रेष्ठ है।

अमृता कुमारी – नेशन्स न्यूट्रिशन                      क्वालीफाईड डायटीशियन/डायबिटीज एडुकेटर     अहमदाबाद

By AMRITA

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