महिलाओं में पीसीओएस, अनियमित पीरियड्स और हार्मोनल असंतुलन जैसी स्वास्थ्य समस्याओं को आयुर्वेद के जरिए आसानी से हल किया जा सकता है। आयुर्वेद में इलाज लंबा तो चलता है लेकिन, कारगर जरूर होता है। इसमें जड़ी-बूटियों से लेकर रोजाना के काम और डाइट तक को ध्यान में रखा जाता है। आयुर्वेद हार्मोन को नियंत्रित करने और महिलाओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। हार्मोनल संतुलन के लिए हर महिला को ये आयुर्वेदिक उपाय जरूर अपनाने चाहिए।

 

हार्मोनल संतुलन के लिए आयुर्वेदिक उपाय

 

तनाव दूर करने के लिए लें अश्वगंधा-

अश्वगंधा एक जड़ी-बूटी है जो कोर्टिसोल के स्तर को कम करने और थायरॉइड और एड्रेनल ग्रंथि के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करती है। अश्वगंधा का उपयोग कर तनाव को कंट्रोल किया जा सकता है। ये इनडायरेक्ट तरीके से प्रजनन हार्मोन को नियंत्रित करने में भी मदद करती है।

 

रिप्रोडक्टिव हेल्थ के लिए शतावरी का सेवन-

महिलाओं के लिए सबसे अच्छी जड़ी-बूटियों में शतावरी भी शामिल है। शतावरी एस्ट्रोजन को संतुलित करने और पीरियड्स को बेहतर करने का काम करती है। इसे अक्सर अनियमित मासिक धर्म, पीएमएस और मेनोपॉज के लक्षणों को कम करने के लिए उपयोग किया जाता है।

 

नियमित योग और प्राणायाम- महिलाओं के शरीर में हार्मोन बैलेंस करने के लिए भुजंगासन यानि कोबरा पोज जैसे योग आसन और अनुलोम विलोम जैसी सांस की तकनीक का उपयोग करके तंत्रिका तंत्र को शांत करने में मदद मिलती है। इससे ब्लड सर्कुलेशन में सुधार आता है और हार्मोन को संतुलित करने में मदद मिलती है।

 

अभ्यंग क्रिया – आयुर्वेद में अभ्यंग एक प्रक्रिया है जिसमें गर्म तिल या नारियल के तेल से शरीर की मालिश करनी का जाती है। इसमें सिर से लेकर तलवों तक में तेल से मालिश की जाती है। जिससे तनाव कम करने और प्रजनन प्रणाली को पोषण देने में मदद मिलती है।

 

आयुर्वेदिक आहार-

आयुर्वेद में डाइट सबसे अहम रोल प्ले करती है। खाने में साबुत अनाज, मौसमी सब्ज़ियां, ताजा फल, घी और हर्बल टी शामिल करें। इन चीजों से त्रिदोष यानि वात, पित्त, कफ को संतुलित करने में मदद मिलती है। प्रोसेस्ड फूड और ज्यादा ऑयली खाने से आपको परहेज करना चाहिए। इससे हार्मोनल असंतुलन को कम करने में मदद मिल सकती है।

 

दालचीनी और सौंफ वाली हर्बल चाय-

महिलाओं को डाइट में दालचीनी और सौंफ का इस्तेमाल करना चाहिए। दालचीनी इंसुलिन सेंसिटिविटी को बेहतर बनाने में मदद करती है, वहीं सौंफ पाचन में मदद करती है। इससे पीरियड्स में होने वाले दर्द को कम किया जा सकता है। ये दोनों मिलकर हार्मोनल संतुलन और आंत के स्वास्थ्य में सुधार करते हैं।

 

पर्याप्त नींद जरूरी-

आयुर्वेद शरीर की सर्कैडियन रिदम पर फोकस है। जिसमें जल्दी सोना, सूर्योदय के साथ उठना और नियमित भोजन का समय बनाए रखना हार्मोन को नियंत्रित करने और ओवरऑल हेल्थ में सुधार करने में मदद कर सकता है।

 

अमृता कुमारी – नेशन्स न्यूट्रीशन                          क्वालीफाईड डायटीशियन                                     डायबिटीज एजुकेटर, अहमदाबाद

By AMRITA

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