
शहर के शोर-गुल से दूर, व्यस्त दिनचर्या से ब्रेक लेकर, क्या आपने कभी गौर किया है कि पेड़ों के नीचे या पहाड़ों के बीच खड़े होने पर मन को अजीब सी शांति मिलती है? जी हां, प्रकृति का अद्भुत नजारा न सिर्फ आंखों को सुकून देता है, बल्कि हमारी मेंटल पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ता है.
तनाव कम करना
ऊँचे पेड़ों से घिरे रहने, पत्तों की सरसराहट और दूर बहती नदी की आवाज – ये सब हमारे दिमाग को शांत करने में मदद करते हैं. प्रकृति का ये सुखदायक अनुभव हमारे शरीर में होने वाली प्रतिक्रियाओं को भी प्रभावित करता है. प्रकृति की शांत बगीचे में रहने से तनाव का हार्मोन कोर्टिसोल का लेवल कम हो जाता है.
प्रकृति का प्रभाव सिर्फ खूबसूरती तक सीमित नहीं है. यह हमारे मूड को भी बेहतर बना सकता है. नेचुरल वातावरण में रहने से सेरोटोनिन का लेवल बढ़ जाता है. सेरोटोनिन एक न्यूरोट्रांसमीटर है जो हमारे मूड को कंट्रोल करता है.
शारीरिक सहनशक्ति
प्रकृति का आनंद लेना न सिर्फ हमारे मन को अच्छा करता है बल्कि शरीर को भी नई ऊर्जा देता है. चाहे तेज पैदल चलना हो या खूबसूरत रास्तों पर साइकिल चलाना हो, प्राकृतिक वातावरण का हमारी मेंटल हेल्थ पर पॉजिटिव प्रभाव पड़ता है. प्राकृतिक वातावरण में रहने से एंडोर्फिन का स्तर बढ़ जाता है, जिससे दिनभर की थकान दूर हो जाती है.
दिमाग को तेज बनाना
प्रकृति हमारी पांचों इंद्रियों को जगाती है. पेड़ों से छनकर आती रोशनी या पक्षियों की चहचाहट दिमाग को एक्टिव करती है. प्रकृति की ये उत्तेजनाएं हमें सचेतन और मानसिक रूप से स्वस्थ बनाती हैं.
संबंध और उद्देश्य
प्रकृति में समय बिताने से हमें खुद से, दूसरों से और अपने आसपास की दुनिया से जुड़ाव महसूस होता है. अपनेपन का ये एहसास हमें एक उद्देश्य देता है. हम वर्तमान का आनंद ले पाते हैं और जीवन को सार्थक बनाते हैं.
प्रकृति की गोद में वक्त बिताकर हम अपने मेंटल हेल्थ के लिए ढेरों फायदे उठा सकते हैं. प्रकृति हमें तरोताजा करती है, सचेतनता बढ़ाती है और आंतरिक शांति का अनुभव कराती है.
(प्रियंवदा दीक्षित – फूड फॉर हील (क्वालीफाईड डायटीशियन, आगरा)