डॉ. डी.एन.मल्लिक (एम.बी.बी.एस, मुजफ्फरपुर )
क्या है डाउन सिंड्रोम
डाउन सिंड्रोम एक दुर्लभ जन्मजात बीमारी है जिसे आमतौर से “तीसरा यौगिक सिंड्रोम” भी कहा जाता है.यस जेनेटिक एबनोर्मिलिटी के कारण होता है, जिसमें व्यक्ति को उपयुक्त संख्या में क्रोमोसोम नहीं मिलता है. जब व्यक्ति को 21वें क्रोमोसोम की एक अतिरिक्त प्रति होती है, तो उसे ही डाउन सिंड्रोम का कारण माना जाता है. डाउन सिंड्रोम का उपचार बहुआयामी होता है इसमें सहारा, शिक्षा, चिकित्सा, प्रोफेशनल सपोर्ट सभी शामिल होते हैं. डाउन सिंड्रोम के लक्षण व्यक्ति के शारीरिक मानसिक विकास में कमी का कारण बनते हैं.
शारीरिक लक्षण:
ब्राचिओसेफालिक या उच्च मुख की चारदीही गति
छोटा स्तन
उच्च बारीक नाक
छोटे हृदय उच्च मुखद्वार
मानसिक लक्षण:
मानसिक विकास में कमी
शिक्षा सामाजिक उपाधी में कठिनाई
याददाश्त में कमी
व्यक्ति की आत्म-समझ में कमी
सामाजिक लक्षण:
सामाजिक संबंधों में कमजोरी
सामाजिक योजनाओं में भाग नहीं लेने की कमी
चिकित्सिय लक्षण:
शिशु के जन्म के समय का वजन कम हो सकता है
मुख्यत: कान, आंतर श्लेष्म प्रणाली, दिल, अन्य अंगों की समस्याएं हो सकती हैं
शिक्षा विकास कार्यक्रम: डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों को शिक्षा विकास के क्षेत्र में विशेष कक्षाएं कार्यक्रमों में शामिल करना उपयुक्त हो सकता है. विशेष शिक्षा उपाधीयों का पालन करना बच्चों को उनकी अद्वितीय आवश्यकताओं के हिसाब से प्रशिक्षण प्रदान करना महत्वपूर्ण है.
चिकित्सिय उपचार : डाउन सिंड्रोम वाले व्यक्तियों को नियमित मेडिकल चेकअप कराना चाहिए. स्वास्थ्य सेवाएं जैसे कि दांत देखभाल, नियमित वैचारिक जाँच, सहारा उपलब्ध कराना विशेष महत्वपूर्ण है.
प्रोफेशनल एडुकेशनल सपोर्ट: व्यक्ति को परिवार, शिक्षक, समुदाय का सहयोग मिलना बहुत आवश्यक है. पेशेवर समर्थन में विशेष कौशल स्तर को हाई लेवल पर पहुंचाना, रोजगार के लिए उपयुक्त कौशलों का विकास करना, समृद्धि के लिए संभावनाएं बनाए रखना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है.
सामाजिक सहभागिता: सामाजिक समृद्धि के लिए सामाजिक साक्षरता, सामाजिक सहभागिता में योजना बनाना महत्वपूर्ण है. समाज में डाउन सिंड्रोम वाले व्यक्तियों को समर्थन समाजिक बनावट मिलनी चाहिए.
अगर आपके बच्चे को या आपके जान पहचान में कोई इस समस्या से ग्रसित है तो तुरंत चिकित्सक की सलाह लें। और बच्चे को हर वक़्त सुविधाजनक निगरानी में रखें।