गर्भावस्था के दौरान विटामिन डी की कमी शिशु के विकास को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है।  विटामिन डी की कमी से बच्चे की हड्डियों के विकास, जन्म के समय वजन और यहां तक कि तंत्रिका तंत्र पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है। 
गर्भावस्था में विटामिन डी की कमी से शिशु के विकास पर पड़ने वाले मुख्य प्रभाव. 

हड्डियों का कमजोर होना: विटामिन डी कैल्शियम और फॉस्फेट के अवशोषण के लिए ज़रूरी है, जो हड्डियों के विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसकी कमी से नवजात शिशु में हड्डियाँ नरम हो सकती हैं, जिसे रिकेट्स कहते हैं। इससे भविष्य में भी कमजोर हड्डियों और फ्रैक्चर का खतरा बढ़ सकता है।

 

कम वजन और समय से पहले जन्म: कई अध्ययनों में यह पाया गया है कि गर्भवती महिला में विटामिन डी की कमी होने पर शिशु का वजन कम हो सकता है और समय से पहले डिलीवरी का खतरा बढ़ सकता है।

 

तंत्रिका और मस्तिष्क का विकास: कुछ शोध बताते हैं कि गर्भावस्था के दौरान विटामिन डी की कमी बच्चे के तंत्रिका विकास और सामाजिक कौशल को प्रभावित कर सकती है, जिससे सीखने की क्षमता पर भी असर पड़ सकता है।

 

खराब श्वसन स्वास्थ्य: विटामिन डी की कमी का संबंध नवजात शिशु में खराब श्वसन स्वास्थ्य और संक्रमण के बढ़ते जोखिम से भी है।

 

ऑटोइम्यून रोगों का जोखिम: विटामिन डी की कमी से शिशु में ऑटोइम्यून बीमारियों, जैसे अस्थमा का खतरा बढ़ सकता है। 

गर्भावस्था में विटामिन डी की कमी से बचने के उपाय:
  • धूप लें: शरीर में विटामिन डी का उत्पादन करने का सबसे अच्छा तरीका धूप लेना है।
  • संतुलित आहार लें: वसायुक्त मछली (जैसे सैल्मन), अंडे, और फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल करें।
  • चिकित्सकीय सलाह लें: यदि आपको लगता है कि आपमें विटामिन डी की कमी है, तो डॉक्टर से सलाह लें। वे आपको आवश्यकतानुसार सप्लीमेंट लेने की सलाह दे सकते हैं। 

 

स्वास्थ्य टिप्स: गर्भावस्था में विटामिन-डी की कमी से बच्चे में अस्थमा का खतरा बढ़ सकता है। एक अध्ययन, जो जर्नल ऑफ एलर्जी और क्लीनिकल इम्यूनोलॉजी में प्रकाशित हुआ है, के अनुसार गर्भावस्था के दौरान विटामिन-डी की कमी बच्चे के इम्यून सिस्टम को प्रभावित करती है।

इसके परिणामस्वरूप बच्चे में भविष्य में अस्थमा होने की संभावना बढ़ जाती है, साथ ही उसकी श्वसन क्षमता भी प्रभावित होती है। शोधकर्ताओं का सुझाव है कि गर्भवती महिलाओं को अपनी डाइट में डेयरी उत्पाद और गाजर को नियमित रूप से शामिल करना चाहिए।

 

विटामिन-डी की आवश्यकता

– गर्भावस्था के दौरान विटामिन-डी की जरूरत होती है क्योंकि यह कैल्शियम और फास्फोरस के स्तर को बनाए रखने में मदद करता है, जिससे बच्चे की हड्डियों और दांतों का विकास होता है।

– गर्भवती महिलाओं में विटामिन-डी की पर्याप्त मात्रा बैक्टीरियल वेजाइनिटिस से बचाती है।

– यह भ्रूण को फेफड़ों की समस्याओं और अस्थमा जैसी इम्यून स्थितियों से भी बचाता है।

– नवजात शिशुओं में कार्डियो से संबंधित समस्याओं का खतरा भी कम होता है।

 

विटामिन-डी कैसे प्राप्त करें

शरीर में विटामिन-डी का लगभग 95 प्रतिशत हिस्सा धूप से मिलता है, जबकि 5 प्रतिशत अंडे, वसा वाली मछली, फिश लिवर ऑयल, दूध, पनीर, दही और अनाज जैसे खाद्य पदार्थों से प्राप्त होता है।

 

अमृता कुमारी – नेशन्स न्यूट्रीशन   ‌ ‌‌                     क्वालीफाईड डायटीशियन                                   डायबिटीज एजुकेटर, अहमदाबाद

By AMRITA

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