उपलब्धि: कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कालेज के सर्जरी विभाग में अपेंडिक्स की सर्जरी को बिना टांके और रक्तस्राव के पूरा किया गया है। हार्मोनिक स्कैल्पेल उपकरण की मदद से देश में पहली बार हुई इस तरह की सर्जरी का रिकवरी रेट और अन्य खूबियों को देखते हुए मेडिकल जर्नल क्यूरियस में प्रकाशित किया गया है।
अब इसे 17 और 18 नवंबर को पेरिस में होने वाले पांचवें वर्ल्ड कांग्रेस आफ हेल्थ केयर एंड मेडिसिन में प्रस्तुत किया जाएगा। जीएसवीएम के सर्जन का दावा है कि देश में पहली बार बिना टांके के इस तरह की सर्जरी हुई है।
जीएसवीएम मेडिकल कालेज के वरिष्ठ सर्जन प्रो. जीडी यादव ने बताया कि सर्जरी विभाग में टांकारहित लेप्रोस्कोपिक एपेंडिक्स सर्जरी पर रिसर्च को अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिली है। जूनियर रेजिडेंट तृतीय वर्ष डा. अपूर्वा माथुर ने डा. श्रद्धा वर्मा और डा. प्रीयेश शुक्ला के मार्गदर्शन में 60 मरीजों पर शोध किया। इसमें अपेंडिक्स के 30 मरीजों को दूरबीन विधि से टांके लगाकर सर्जरी की गई। वहीं, 30 मरीजों की हार्मोनिक मशीन की मदद से सर्जरी हुई। इसमें टांके की जरूरत नहीं पड़ी।
शोध में शामिल सभी 60 मरीजों की सर्जरी के परिणाम का आकलन किया गया तो दूरबीन विधि की तुलना में टांका रहित सर्जरी का रिकवरी रेट बेहतर रहा। सर्जरी कम समय में पूरी हुई और रक्तस्राव व जटिलता का खतरा भी बेहद कम रहा। शोधकर्ता डा. अपूर्वा माथुर ने बताया कि यह मशीन पेट में एक बेहद छोटा छेद करके अपेंडिक्स तक पहुंचती है। यह कुछ ही मिनट में अपेंडिक्स को काटकर अलग कर देता है। बाद में बिना टांका लगाए ही शेष भाग स्वत: ही जुड़ जाता है। इसमें रक्तस्राव नहीं होता।
इससे मरीज के अस्पताल में भर्ती होने की अवधि कम हुई है। यह सर्जरी मरीजों की सुविधा और लागत दोनों के लिए बेहतर साबित हो रही है। जीएसवीएम में खोजी गई यह तकनीक सर्जिकल साइंस में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भविष्य में अपेंडिक्स सर्जरी का मानक बन सकती है।
क्या होता है अपेंडिक्स
अपेंडिक्स एक छोटी अंगुली के आकार की थैली होती है। यह पेट के निचले दाहिने हिस्से में बड़ी आंत के शुरुआती हिस्से से जुड़ी होती है। इसे पाचन तंत्र का एक अवशेषी अंग माना जाता है, जिसका शरीर में कोई विशेष कार्य नहीं होता है। हालांकि, यह संक्रमित या सूजनग्रस्त होने पर अपेंडिसाइटिस में बदल जाती है। इसे सर्जरी के माध्यम से हटाया जाता है।
जीएसवीएम मेडिकल कालेज सर्जरी के क्षेत्र में नए आयाम हासिल कर रहा है। जिस तरह की सर्जरी एम्स जैसे संस्थानों में होती थी, अब हमारे यहां के सर्जन भी सफलतापूर्वक कर रहे हैं। अपेंडिक्स की सर्जरी में जीएसवीएम का शोध सर्जिकल साइंस में नया अध्याय साबित होगा।
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