शारदीय संध्याओं में जिसकी मंद खुशबू मन को आनंदित करती है, वह हरसिंगार (संस्कृत में पारिजात, बांग्ला में शिउली) सिर्फ़ सुंदरता का प्रतीक नहीं, बल्कि १५ चमत्कारी औषधीय गुणों से भरपूर एक पौधा है।इसके छोटे सफेद फूल, नारंगी डंडी और तीव्र खुशबू इसे ख़ास बनाती है। रात को खिलकर ये फूल सुबह ज़मीन पर गिर जाते हैं। इस पौधे के गुण, ख़ासकर रोगों को ठीक करने की क्षमता, हैरान कर देने वाली है।पारिजात वृक्ष की दुर्लभता:रुड़की के कुंवर हरिसिंह के गहन अध्ययन के अनुसार, यूँ तो पारिजात प्रजाति भारत में नहीं पाई जाती, लेकिन भारत में एकमात्र प्राचीन पारिजात वृक्ष आज भी उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जनपद के बोरौलिया गाँव में मौजूद है। लगभग ५० फीट तने और ४५ फीट ऊँचाई के इस वृक्ष की अधिकांश शाखाएँ ज़मीन की ओर मुड़ जाती हैं और छूते ही सूख जाती हैं। साल में केवल एक बार जून माह में सफ़ेद व पीले फूलों से सजने वाला यह वृक्ष लगभग एक हज़ार से पाँच हज़ार वर्ष तक जीवित रह सकता है। वनस्पति शास्त्री इसे एडोसोनिया वर्ग का मानते हैं, जिसकी दुनिया भर में केवल पाँच प्रजातियाँ हैं, जिसमें पारिजात ‘डिजाहाट’ प्रजाति का है।हरसिंगार के १५ चमत्कारिक स्वास्थ्य लाभ:१. गठिया का दर्द: पारिजात के पेड़ के पाँच पत्ते तोड़कर पत्थर पर पीसकर चटनी बनाएँ। फिर एक गिलास पानी में इसे इतना गरम करें कि पानी आधा रह जाए। इसे ठंडा करके पीने से बीस साल पुराना गठिया का दर्द भी ठीक हो जाता है।२. घुटनों की चिकनाई: अगर घुटनों की चिकनाई (Smoothness) ख़त्म हो गई हो, तो हरसिंगार के १०-१२ पत्तों को कूटकर एक गिलास पानी में उबालें। जब पानी एक चौथाई बचे तो बिना छाने ठंडा करके पी लें। ९० दिन में चिकनाई पूरी तरह वापस बन जाएगी।
३. साइटिका (Sciatica): हरसिंगार के पत्तों को धीमी आँच पर उबालकर काढ़ा बनाकर साइटिका के रोगी को सेवन कराने से लाभ मिलता है। यह बंद रक्त नाड़ियों को खोल देता है।
४. बालों का झड़ना/गंजापन: हरसिंगार के बीज को पानी के साथ पीसकर सिर के गंजेपन की जगह लगाने से जड़ों से नए बाल आना शुरू हो जाते हैं।
५. बुखार (चिकनगुनिया, डेंगू, मलेरिया): इसके पत्ते को पीसकर गर्म पानी में डालकर पीने से चिकनगुनिया, डेंगू फीवर, एनसेफेलाइटिस और ब्रेन मलेरिया जैसे जटिल बुखार भी ठीक हो जाते हैं।
६. पुराना मलेरिया: हरसिंगार के ७-८ पत्तों के रस को अदरक के रस और शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से पुराना मलेरिया समाप्त हो जाता है।
७. बवासीर (Piles): हरसिंगार के एक बीज का सेवन प्रतिदिन करने से बवासीर रोग ठीक हो जाता है। बीज का लेप गुदा पर लगाने से भी राहत मिलती है।
८. यकृत और प्लीहा (Liver and Spleen): ७-८ पत्तों के रस को अदरक के रस और शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से यकृत (लिवर) और प्लीहा (तिल्ली) की वृद्धि ठीक हो जाती है।
९. हृदय रोग (Heart Disease): पारिजात पर फूल आने पर एक माह तक इन फूलों या फूलों के रस का सेवन करने से हृदय रोग से बचा जा सकता है।
१०. दाद (Ringworm): हरसिंगार की पत्तियों को पीसकर लगाने से दाद ठीक हो जाता है।
११. सूखी खाँसी (Dry Cough): पत्तियों को पीसकर शहद में मिलाकर सेवन करने से सूखी खाँसी ठीक हो जाती है।
१२. त्वचा रोग (Skin Diseases): पत्तियों को पीसकर त्वचा पर लगाने से त्वचा संबंधी रोग ठीक हो जाते हैं।
१३. श्वास/दमा (Asthma): हरसिंगार की छाल का चूर्ण पान में रखकर प्रतिदिन ३-४ बार खाने से कफ का चिपचिपापन कम होकर श्वास रोग (दमा) में लाभकारी होता है।
१३. श्वास/दमा (Asthma): हरसिंगार की छाल का चूर्ण पान में रखकर प्रतिदिन ३-४ बार खाने से कफ का चिपचिपापन कम होकर श्वास रोग (दमा) में लाभकारी होता है।
१४. क्रोनिक बुखार और स्त्री रोग: पारिजात की कोंपल को पाँच काली मिर्च के साथ महिलाएँ सेवन करें तो स्त्री रोग में लाभ मिलता है। पत्तियों का जूस क्रोनिक बुखार को ठीक करता है।
१५. खुजली: हरसिंगार के पत्ते और नाचकी का आटा मिलाकर पीसकर लेप करने से खुजली में लाभ मिलता है।